भारत में यूरोपियों का आगमन| Arrival of Europeans in India.

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भारत में यूरोपियों का आगमन | Arrival of Europeans in India.


भारत में यूरोपीय लोगों का आगमन इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। 15वीं सदी के अंत में पुर्तगालियों से शुरुआत, उसके बाद डच, फ्रांसीसी और अंततः ब्रिटिश, यूरोपीय शक्तियों के इस आगमन ने भारतीय उपमहाद्वीप को हमेशा के लिए बदल दिया। प्रारंभ में, ये आगमन मसालों और व्यापार के आकर्षण से प्रेरित थे, लेकिन जल्द ही क्षेत्रीय प्रभुत्व की तलाश में विकसित हो गए। विशेष रूप से, अंग्रेजों ने अपनी ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना की, जिसने रणनीतिक गठबंधनों और सैन्य विजय के माध्यम से धीरे-धीरे अपना प्रभाव बढ़ाया। उनकी उपस्थिति ने महत्वपूर्ण आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन लाए, अंततः ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन में परिणति हुई, जिसने भारत के इतिहास पर एक अमिट प्रभाव छोड़ा और स्वतंत्रता की दिशा में अपना मार्ग प्रशस्त किया।

यूरोपियों का आगमन|Arrival of Europeans.


पुर्तगाल : 1498 ई.में पुर्तगाली नाविक वास्कोडिगामा केरल के कालीकट में समुद्री मार्ग से पहुंचा। 1509 ई. में पुर्तगाली गवर्नल अल्फ्रांसो डी अल्बुकर्क भारत आया। 1510 ई. में उसने गोवा पर अधिकार कर लिया। अल्बुकर्क को भारत में पुर्तगाली साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक माना जाता है। पुर्तगालियों के भारत आगमन से भारत में तंबाकू की खेती, जहाज निर्माण तथा प्रिंटिंग प्रेस की शुरुवात हुई।

डच : 1602 ई. में यूनाइटेड ईस्ट इंडिया कंपनी ऑफ द निडरलैंड्स का प्रदुर्भाव हुआ। 1605 ई. में डचों द्वारा पहली फैक्ट्री मसूलीपट्टनम में स्थापित की गई। डचों और अंग्रेजों के बीच 1759 ई. में हुए वेदरा के युद्ध में अंग्रेजी सर्वश्रेष्ठ नौसेना ने डचों को भारतीय व्यापार से बाहर निकाल दिया गया था।

अंग्रेज : 1600 ई . में ईस्ट इंडिया कम्पनी की स्थापना ब्रिटिश सरकार द्वारा कुछ व्यापारियों को चार्टर प्रदान करने के साथ हुई। जेम्स प्रथम के राजदूत टामस रो ने जहांगीर से सूरत फैक्ट्री खोलने तथा व्यापार करने की आज्ञा प्रदान कर ली थी। 1757 ई. में प्लासी के युद्ध में क्लाइव ने बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला को हराकर भारत में अंग्रेजी राज्य की नींव रखी। 1764 ई. में बक्सर के युद्ध में अंग्रेजों ने शाह आलम ( मुगल सम्राट) , शुजाउद्दौला ( अवध का नवाब) और मीर कासिम (बंगाल का नवाब) की संयुक्त सेनाओं को हरा कर अंग्रेजी राज्य दिल्ली तक फैला लिया। 1818 ई. में अंग्रेजों ने मराठा शक्ति को समाप्त कर दिया तथा 1849 ई. में चिलियानवाल के युद्ध में सिक्खों को हराकर पंजाब सहित पूरे भारत को अपने राज्य में मिला लिया।

डेन : डेनमार्क की ईस्ट इंडिया कम्पनी की स्थापना सन् 1616 ई. में हुई। इस कम्पनी ने 1620 ई. में त्रेकोबार ( तमिलनाडु) और 1676 ई. में सेरामपुर (बंगाल) में अपनी व्यापारिक कोठियां स्थापित की थी। 1845 ई. में डेनो ने अपनी वाणिज्यिक कम्पनी को अंग्रेजों को बेंच दीं थी।

फ्रांसीसी : फ्रांसीसी सम्राट लुई चौदवे के मंत्री कैलबर्ट द्वारा 1664 ई. में फ्रेंच ईस्ट इंडिया कम्पनी की स्थापना की गई थी। 1668 ई. में फ्रेंसिस कैरो के नेतृत्व में इस कम्पनी ने सूरत में अपनी प्रथम कोठी स्थापित की। 1742 ई के पश्चात् फ्रांसीसी व्यापारिक लाभ प्राप्त करने की अपेक्षा राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं में सलग्न हो गए क्योंकि इस वर्ष डूप्ले फ्रांसीसी कम्पनी का गवर्नर बनकर भारत आया और उसके नेतृत्व में फ्रांसीसियों ने अपनी शक्ति का खूब विस्तार किया। अत फ्रांसीसियों की साम्राज्यवादी नीति के कारण अंग्रेज व फ्रांसीसियों में संघर्ष प्रारंभ हुआ ! 1760 ई. में वांडीवाश का युद्ध में फ्रांसीसी अंग्रेज सेना से पराजित हो गये।

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भारत के राष्ट्रीय आंदोलन | National Movement of India.

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भारत के राष्ट्रीय आंदोलन |National movements of India.

भारत का राष्ट्रीय आंदोलन भारतीय उपमहाद्वीप में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाप स्वतन्त्रता के लिए ऐतिहासिक संघर्ष को संदर्भित करता है। यह 19वीं सदी के अंत में उभरा और महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू, और सुभाष चन्द्र बोस जैसी महान हस्तियों के नेतृत्व में गति पकड़ी। इस आंदोलन का उद्देश्य भारतीय लोगों के लिए राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक अधिकारों को सुरक्षित करना, स्वशासन की वकालत करना और ब्रिटिश साम्राज्य को समाप्त करना था। अहिंसक सविनय अविज्ञा आंदोलन , बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन और बहिस्कार के माध्यम से , राष्ट्रीय आंदोलन के विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक पृष्टभूमि के लोगों की स्वतंत्रता की तलाश में एकजुट किया। भारतीय इतिहास का यह महत्त्वपूर्ण अध्याय अन्ततः 15 अगस्त 1947 ईसवी को देश की स्वतंत्रता का कारण बना। तो चलिए Gkworldhali के लेख में हम पढ़ेंगे भारत का राष्ट्रीय आंदोलन में कौन कौन सी आंदोलन की स्थापना हुई।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना (1885 ई.) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना सन 1885 ई. में ए ओ ह्यूम द्वारा की गई थी। इसका प्रथम अधिवेशन दिसंबर, 1885 ई. में बंबई में हुआ। जिसकी अध्यक्षता व्योमेश चंद्र बनर्जी ने की। इसमें 72 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था।

बंगाल का विभाजन (1905 ई.) राष्ट्रीय आंदोलन के फलस्वरूप देश भक्ति के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए लॉर्ड कर्ज़न द्वारा 16 अगस्त, सन 1905 ई. में बंगाल का विभाजन कर दिया गया।

मुस्लिम लीग की स्थापना (1906 ई.) इसके संस्थापकों में आगा खां, नवाब सलीमुल्ला और नवाब मोहसिन उल मुल्क प्रमुख थे। मुस्लिम लीग की स्थापना का मुख्य उद्देश्य ब्रिटिश सरकार के प्रति मुसलमानों की निष्ठा बढ़ाना, मुसलमानों के राजनैतिक अधिकारों की रक्षा करना था।

कांग्रेस का सूरत अधिवेशन (1907 ई.) इस अधिवासन में कांग्रेस स्पष्ट रूप से नरमपंथी नेताओं और गरमपंथी नेताओं में विभाजित हो गई थी।

लखनऊ समझौता (1916 ई.) ब्रिटेन और तुर्की के बीच युद्ध के कारण मुसलमानों में अंग्रेजों के प्रति विद्वेष की भावना उत्पन्न हो गई थी। 1916 ई. में लखनऊ में मुस्लिम लीग के नेता मोहम्मद अली जिन्ना और कांग्रेस के मध्य एक समझौता हुआ जिसके अन्तर्गत कांग्रेस वा लीग ने मिलकर एक सैयुक्त समिति की स्थापना की। समझौते के तहत कांग्रेस ने मुस्लिम लीग की सांप्रदायिक प्रतिनिधित्व की मांग स्वीकार कर ली।

होम रूल लीग आंदोलन (1916 ई.) श्रीमती ऐनी बेसेंट के प्रयासों से संवैधानिक उपायों द्वारा स्वशासन प्राप्त करने के उद्देश्य से भारत में होमरूल लीग की स्थापना की गई।बाल गंगाधर तिलक ने 28 अप्रैल 1916 में होमरूल लीग की स्थापना महाराष्ट्र में की।

रौलेट एक्ट (1919 ई.) इस एक्ट के द्वारा अंग्रेज सरकार जिसको चाहे जब तक बिना मुकदमा दायर किए जेल में बंद कर सकती थी। इस एक्ट को 'बिना अपील ' ' बिना वकील ' और ' बिना दलील ' का कानून भी कहा गया। काला अधिनियम और आतंकवादी अपराध अधिनियम के नाम से भी जाना जाता है।

जलिया वाला बाग हत्याकांड (1919 ई.) रौलेट एक्ट के विरोध में जगह जगह जन सभाएं आयोजित की जा रही थी इसी दौरान सरकार ने पंजाब के लोकप्रिय नेता डा. सैफुद्दीन किचलू और डा. सत्यपाल को गिरफतार कर लिया गया। इसी गिरफ्तारी का विरोध करने के लिए 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियां वाला बाग में एक जनसभा का आयोजन किया गया जिस पर जनरल डायर ने गोली चलवा दी, जिसमे सैकड़ों लोग मारे गए।
 
खिलाफत आन्दोलन (1920 ई.) प्रथम विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटेन और उसके सहयोगियों द्वारा तुर्की पर किए गए अत्याचारों के परिणामस्वरूप 1919 ई.में अखिल भारतीय खिलाफत कमेटी का गठन किया गया।इस आंदोलन में मोहम्मद अली और शौकत अली ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

असहयोग आंदोलन (1920 ई.) लाला लाजपत राय की अध्यक्षता में हुई कलकत्ता अधिवेशन में गांधी जी के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन का प्रस्ताव पारित किया गया। इस आंदोलन के दौरान विद्यार्थियों द्वारा शिक्षण संस्थानों का बहिष्कार, वकीलों द्वारा न्यायालयों का बहिष्कार किया गया। फरवरी 1922 ई. में गांधी जी ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन शुरू कर ने की योजना बनाई। लेकिन इस से पहले ही उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के चौरा चौरी नामक स्थान पर 5 फरवरी 1922 ई. को आंदोलनकारियों ने पुलिस के 22 जवानों को थाने के अंदर जिंदा जला दिया। इस घटना से गांधी जी को बहुत दुख हुआ और उन्होंने 12फरवरी 1922 ई. को असहयोग आंदोलन वापस लेने की घोषणा कर दी।

साइमन कमीशन (1927 ई.) ब्रिटिश सरकार ने सर जान साइमन के नेतृत्व में 7 सदस्यों वाले आयोग की स्थापना की, जिसमे कोई सदस्य भारतीय नहीं था । जिसके कारण भारत में इस कमीशन का बहुत जोरों शोरों के साथ विरोध किया गया था।
कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन (1929 ई.) ।
दांडी यात्रा (1930 ई.)।
क्रांतिकारी आंदोलन (1924 ई.)।
प्रथम गोलमेल सम्मेलन (1930 से 1931 ई.)।
गांधी इर्विन समझौता(1931 ई.)।
द्वितीय गोलमेल सम्मेलन (7सितंबर 1931 ई.)।
सांप्रदायिक पंचाट : पूना समझौता (1932 ई.)।
तृतीय गोलमेल सम्मेलन (1932 ई.)।
पाकिस्तान की मांग (1940 ई.)।
क्रिप्स मिशन (1942 ई.)।
भारत छोड़ो आन्दोलन (1942 ई.)।
कैबिनेट मिशन (1946 ई.)।
माउंट बेटन योजना और भारत को स्वतंत्रता प्राप्ति (1947 ई.)।

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प्रसिद्ध पुस्तक एवं उनके लेखक | Famous books and authors

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प्रसिद्ध पुस्तक एवं उनके लेखक |famous books and authors 

भारत की एक समृद्ध साहित्यिक विरासत है जो सदियों तक फैली हुई है, जिसमें शैलियों, विषयों और शैलियों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है। देश ने कई महत्वपूर्ण पुस्तकों और उल्लेखनीय लेखकों का निर्माण किया है जिनके कार्यों ने भारतीय साहित्य और वैश्विक साहित्यिक परिदृश्य पर एक अमिट छाप छोड़ी है। शास्त्रीय साहित्य से लेकर समकालीन उत्कृष्ट कृतियों तक, यहाँ Gkworldhali भारत की कुछ प्रमुख पुस्तकों और लेखकों का वर्णन किया गया है।

• रवींद्रनाथ टैगोर: साहित्य में पहले गैर-यूरोपीय नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर, भारतीय साहित्य में एक विशाल व्यक्ति हैं। उनका सबसे प्रसिद्ध काम "गीतांजलि" है, जो कविता का एक संग्रह है जो प्रेम, आध्यात्मिकता और मानवीय संबंधों के विषयों की पड़ताल करता है। टैगोर का लेखन मानवीय भावनाओं में उनकी गहरी अंतर्दृष्टि और प्रकृति और मानवता के बीच एक सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व की उनकी दृष्टि को दर्शाता है।

• आर.के. नारायण : आर.के. नारायण भारत के सबसे प्रसिद्ध अंग्रेजी भाषा के लेखकों में से एक हैं। मालगुडी का उनका काल्पनिक शहर, "स्वामी एंड फ्रेंड्स," "द बैचलर ऑफ आर्ट्स" और "द गाइड" जैसे उपन्यासों में चित्रित किया गया है, भारतीय समाज, संस्कृति और रोजमर्रा की जिंदगी के सार को बुद्धि और आकर्षण के साथ कैप्चर करता है। नारायण की रचनाएँ उनकी सादगी, हास्य और मानवीय चरित्रों के व्यावहारिक चित्रण के लिए जानी जाती हैं।

• अरुंधति रॉय
: अरुंधति रॉय ने अपने पहले उपन्यास "द गॉड ऑफ स्मॉल थिंग्स" से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त की। यह खूबसूरती से लिखी गई और जटिल रूप से बुनी गई कहानी केरल, भारत की पृष्ठभूमि में प्रेम, जाति और सामाजिक पदानुक्रम के विषयों की पड़ताल करती है। रॉय के काव्यात्मक गद्य और विचारोत्तेजक वर्णन उनके लेखन को मनोरम और विचारोत्तेजक बनाते हैं।

• सलमान रुश्दी: सलमान रुश्दी उत्तर-औपनिवेशिक साहित्य में एक प्रमुख व्यक्ति हैं, जो अपनी साहसिक और कल्पनाशील कहानी कहने के लिए जाने जाते हैं। उनकी महान कृति, "मिडनाइट्स चिल्ड्रन", इतिहास, जादुई यथार्थवाद, और राजनीतिक रूपक को एक साथ बुनती है, जो आजादी से लेकर आज तक भारत की यात्रा को चित्रित करती है। रुश्दी की रचनाएँ अक्सर पारंपरिक कथा संरचनाओं को चुनौती देती हैं और पहचान, धर्म और सांस्कृतिक संघर्ष के विषयों का पता लगाती हैं।

• विक्रम सेठ: विक्रम सेठ का उपन्यास "ए सूटेबल बॉय" एक व्यापक महाकाव्य है जो स्वतंत्रता के बाद के भारत की पृष्ठभूमि के खिलाफ विविध पृष्ठभूमि के पात्रों के जीवन में तल्लीन करता है। विस्तार पर सेठ का ध्यान, विशद वर्णन और जटिल कथानक इस पुस्तक को भारतीय साहित्य में एक मील का पत्थर बनाते हैं। उनकी बहुमुखी प्रतिभा उनके अन्य कार्यों में स्पष्ट है, जिनमें "एक समान संगीत" और "द गोल्डन गेट" शामिल हैं।

• झुंपा लाहिड़ी: झुंपा लाहिड़ी, एक भारतीय-अमेरिकी लेखक, ने अप्रवासी अनुभव के अपने मार्मिक चित्रण के लिए प्रशंसा प्राप्त की है। लघु कथाओं का उनका पहला संग्रह, "इंटरप्रेटर ऑफ मैलेडीज" ने फिक्शन के लिए पुलित्जर पुरस्कार जीता। लाहिड़ी की रचनाएँ अक्सर सांस्कृतिक पहचान, विस्थापन और रिश्तों की जटिलताओं के विषयों का पता लगाती हैं।

• अमिताव घोष: अमिताव घोष को उनके ऐतिहासिक उपन्यासों के लिए जाना जाता है, जिसमें गहन शोध के साथ सम्मोहक कहानी कहने का संयोजन होता है। उनकी इबिस त्रयी, जिसमें "सी ऑफ पॉपीज," "रिवर ऑफ स्मोक," और "फ्लड ऑफ फायर" शामिल हैं, 19वीं शताब्दी के दौरान अफीम व्यापार, उपनिवेशवाद और वैश्विक संबंधों का एक विशद चित्रण प्रस्तुत करता है। घोष की लेखन शैली समय और स्थान की बारीकियों को पकड़ते हुए समृद्ध वर्णनात्मक है।

ये भारत की प्रमुख पुस्तकों और लेखकों के कुछ उदाहरण हैं। देश का साहित्यिक परिदृश्य विशाल और विविध है, जिसमें अनगिनत अन्य उल्लेखनीय लेखक और कार्य खोजे जाने की प्रतीक्षा कर रहे हैं

     लेखक              --          पुस्तक
• आर एस शर्मा            - रिथिंकिंग इंडियाज पास्ट
एम चेलापति राव    -  इंडियन ड्रामा
• एम जे अकबर         - इंडिया: द सीज विदिन
• आर के नारायण      -  स्वामी एंड फ्रेंड्स
• जोनाथन स्टील        - वर्ल्ड पावर 
• जे के रॉलिंग           - हैरी पॉटर सीरीज
• मार्क अर्नोल्ड फोस्टर - द वर्ल्ड एट वार
• अरुण गांधी            - कस्तूरबा ए लाइफ 
• डा. एम जी बोकरे     - हिंदू इकोनॉमिक्स
• अब्दुल गफ्फार खान - माई लाइफ स्ट्रगल
• डेविड लॉज            - स्मॉल वर्ल्ड 
• यू थांट                   - व्यू फ्रॉम द यू एन
• एस निहाल सिंह.     - माई इंडिया 
• एम जे अकबर        - कश्मीर बिहाइंड द वेल
• आंग सान सूकी      - फ्रीडम फॉर फीयर
• दलाई लामा           - फ्रीडम इन एक्साइल 
• डा गिरिराज शरण   - वेदांत दर्शन
• कुसुम चड्डा            -  टेन ईयर फाइल 
• अटल बिहारी वाजपेई - संसद में तीन दशक
• कमलकांत त्रिपाठी   - शिखर और शिमाएं।
• मार्क टुली               - मदर।
• विष्णु प्रभाकर         - अर्द्धनारीश्वर ।
• सुनील गावस्कर       - रन्स इन रूइंस, द आइडल्स, वनडे वोडर्स
• टी एस कृष्णमूर्ति      - द मिराकिल ऑफ डेमोक्रेसी।
• कविता सरकार        - यू कैन नॉट प्लीज़ एवरी वन।
• मिहिर बॉस             - द लास्ट हीरो , इन सर्च ऑफ गांधी।
• राजेश बेदी             -  इंडियाज वाइल्ड लाइफ वंडर्स।
• जे एन दीक्षित         - इंडिया पाकिस्तान इन वार एंड पीस।
• मृणाल पाण्डे          - माई ऑन विटनेस।
• वी एन नारायण      - ट्राइस्ट विद टेरर
• ए आर लक्ष्मण       - द जज स्पीक्स।
• अमृता प्रीतम         - एलोन इन द मल्टीट्यूब।
• जे एन दीक्षित        - टू तालिबान।
• सागरिका घोस       - द जिन ड्रिंकर्स।
• एच एस अहलूवालिया - द स्टोरी ऑफ एवरेस्ट।
• जहीर शाह            - एन अफगान डायरी।
• संदीप पाटिल।      - सैंडी स्टामर्स
•राबर्ट जंग।            - द न्यूक्लियर स्टेट
• मेरी वेसन            - नेशनल मंडेला 
• एम वी कामथ।    - इंडिया ऑफ आवर ड्रीम 
• कुलदीप नैयर       - इंडियन हाउस 
• कौशिक बसु।       - इकोनॉमिक ग्रेफटी
• नंदन नीलकेणी।    - द न्यू सेंचुरी 
• शोभा डे सिस्टर्स.   - सिस्टर्स।
• दिलीप सावली      - इन्वेंशंस दैट मेड हिस्ट्री
• आर सी पचौरी।    - कंटेंपरेरी इंडिया 
• सी सुब्रह्मण्यम     - द टर्निंग पॉइंट
• नवीन चावला.      - मदर टेरेसा
• नरवर सिंह.          - काउंट योर ब्लेसिंग्स
• कुबेरनाथ राय.      - कामधेनु 
• मिखाईल गोरबच्योब - पीस हैस नो अल्टरनेटिव 
• आर के नारायण.  - द इंडियन एपिक्स रिटोल्ड
• राज जेठमलानी.   - बिग इगोज एंड स्मॉल मैन
• जसवंत सिंह.       - जिन्ना : इंडिया पार्टिशन इंडिपेंडेंट
• अरुण शौरी           -मिसेज गांधी सेकंड रेजीम
• इंद्र कुमार गुजराल  - ए फारेन पॉलिसी फॉर इंडिया
• राजेश कोछड़         -एस्ट्रोनामी इन इंडिया
• सलीम अली         - द बुक ऑफ इंडियन बर्ड्स
• जे एन दीक्षित       - सेक्रेटरी
• एस एस गिल        - द पैथोलॉजी ऑफ करप्शन
• जसवंत सिंह         - डिफेंडिंग इंडिया 
• बी आर नंदा          - द मेकिंग ऑफ ए नेशन 
• महातिर मुहम्मद     -  द वे फारवर्ड
• जे एन दीक्षित        - एसाइनमेंट कोलंबो
• विंदेश्वर पाठक       - रोड टू फ्रीडम
• डा लोकेश चंद्रा      - द थाउजेंट बुद्धाज
• महेश भट्ट              -  न खत्म होने वाली कहानी 
• श्यामलाल             - ए हैंड्रेड एन काउंटर
• विल्सन जान         - तहलका का जाल ।
• अरुंधति रॉय         - बहुजन हिताय।
• जेमिना खान         -  सरप्राइजिंग इनकाउंटरस।
• एस के बनर्जी        - डिप्लोमेटिक इनकाउंटर ।
• के एल शर्मा           - इनोवेटिव इंडिया ।
• आर के राघवन       - पॉलिशिंग ए डेमोक्रेसी।
• झुंपा लाहिड़ी         - इंटरप्रेटर ऑफ मेलेडीज।
• खुशवंत सिंह         - टुथ लव एंड लिटिल मेलिस।
• ए जी नूरानी          - इस्लाम एंड जिहाद।
• सद्दाम हुसैन          - अलकीला अल हसीना।
• विक्रम सेठ            - टू लाइव्स, ए स्यूटेबल बॉय।
• राज मोहन गांधी    - रिवेंज एंड रिकांसिलियेशन।
• मृणालिनी साराभाई - कृष्ण : द प्रिंस ऑफ बृंदावन।
• जोगिंदर सिंह         - विदाउट फियर एंड फेवर, इनसाइड द सी बी आई।
• अब्दुल कलाम        - इंडिया 2020 विजन फॉर द न्यू मिलेनियम, विंग्स ऑफ फायर, इग्नाइटेड माइंड्स।
• अमृता प्रीतम         - कोरे कागज।
• विल क्विंटन          - होप्स एंड हिस्ट्री।
• एम के धर             - बिटर हार्वेस्ट।
• प्रमिला बहादुर       - सुगंधा।
• मंजू कपूर              - डिफिकल्ट डॉट्स।
• एम जे अकबर        - द शेड ऑफ स्वार्ड्स।
• अखिल बक्सी        - द रोड टू फ्रीडम।
• वियायराजे सिंधिया  - राजपथ से लोकपथ पर।
• इयान बाथम          - द बाथम रिपोर्ट।
• शेन वान                - माई ऑन स्टोरी।
• सुधीर तैलंग           - बिग कार्टून।
• अरुण शौरी           - वार्शिपिंग फॉल्स गॉड।
• अनिता देसाई        - फास्टिंग,फिस्टिंग।
• नमिता गोखले       - द बुक ऑफ सैडोज।
• बी आर नंदा          - इन सर्च ऑफ गांधी।
• अमिताभ घोस      - काउंटडाउन।
• महातिर मुहम्मद    - द न्यू डील फॉर एशिया।
• जावेद अख्तर       - तरकश।
• सईद जाफरी        - एन एक्टर्स जरनी।
• श्री रविशंकर        - द हेरिटेज ऑफ दलित्स।
• डा के आर नारायणन  - नेहरू एंड हिज विजन।
• पी वी नरसिम्हा राव  - ए लांग वे, द इनसाइडर।

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भारतीय व्यक्तियों के लोकप्रिय उपनाम | Popular Nicknames of Indian Persons

  
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भारतीय व्यक्तियों के लोकप्रिय उपनाम |Popular Nicknames of Indian Persons.

भारत, एक विशाल और सांस्कृतिक रूप से विविध राष्ट्र, कई प्रमुख व्यक्तियों का घर है जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। भारतीय नामों का एक आकर्षक पहलू उपनामों के पीछे का महत्व और इतिहास है। भारत में उपनाम अक्सर एक समृद्ध विरासत लेकर चलते हैं, जो पैतृक जड़ों, व्यवसायों या यहां तक ​​कि क्षेत्रीय संबद्धता को दर्शाते हैं। इस Gkworldhali लेख में, हम कुछ प्रमुख भारतीय व्यक्तित्वों का पता लगाते हैं और उनके उपनाम भी जानेंगे।

ये भारत में विभिन्न क्षेत्रों के प्रमुख व्यक्तियों और उनके उपनामों के पीछे की कहानियों के कुछ उदाहरण हैं। भारतीय उपनाम विविध और बहुआयामी हैं, जो देश के विशाल इतिहास, भाषाओं और सांस्कृतिक परंपराओं को दर्शाते हैं। उपनामों की उत्पत्ति की खोज भारतीय समाज के सामाजिक, व्यावसायिक और क्षेत्रीय पहलुओं में अंतर्दृष्टि प्रदान करती है। भारतीय उपनामों का गहरा महत्व है और अक्सर दिलचस्प कहानियाँ जुड़ी होती हैं


प्रमुख व्यक्ति एवं उनके उपनाम |Prominent persons and their surnames


लौह पुरुष - सरदार वल्लभ भाई पटेल
लोकमान्य - बालगंगाधर तिलक।
चाचा - जवाहर लाल नेहरू।
बिहार केसरी - डा. श्री कृष्ण सिंह।
दीनबंधु - सी एफ एनडूज।
पंजाब केसरी - लाला लाजपत राय।
विद्रोही कवि - काज़ी नजरूल इस्लाम।
लोकनायक - जयप्रकाश नारायण
गुजरात का जनक - रविशंकर महाराज।
राजर्षी - पुरोसोत्तमदास टंडन।
महामना - प. मदनमोहन मालवीय।
देशरत्न - डा. राजेंद्र प्रसाद।
नेता जी - सुभाष चन्द्र बोस।
बापू - महात्मा गांधी।
भारत कोकिला - सरोजनी नायडू।
हाकी के जादूगर - ध्यानचंद
उड़नपरी - पी टी ऊषा।
विश्व कवि - रविन्द नाथ ठाकुर।
सरदार - वल्लभ भाई पटेल।
भारत का नेपोलियन - समुद्रगुप्त।
कायदे आजम - मुहम्मद अली जिन्ना।
सीमांत गांधी - खान अब्दुल गफ्फार खान।
भारतीय फिल्मों के पितामह - दादा साहब फाल्के।
भारतीय पुनर्जागरण के प्रभात नक्षत्र - राजा राममोहन राय।
लाल, बाल, पाल - लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक, विपिनचंद्र पाल।
शहीद आजम - भगत सिंह
शांति पुरुष - लाल बहादुर शास्त्री।
शेर ए कश्मीर - सेख अब्दुल्लाह।
देश बंधु - चितरंजन दास।
भारत का सेक्सपियर - महाकवि कालिदास।
बंगाल केसरी - आशुतोष मुखर्जी ।
निर्मल हृदय - मदर टेरेसा।
जयनायक - कर्पूरी ठाकुर।
आंध्र केसरी -  टी प्रकाशन।
गुरुदेव - रवीन्द्र नाथ टैगोर।
राजा जी - चक्रवर्ती राजगोपालाचारी।
राष्ट्रपिता - महात्मा गांधी।
• बंग बंधु - सेख मुजीबुर्रहमान।
ताऊ - चौधरी देवीलाल ।
स्वर कोकिला - लता मंगेशकर।
युवा तुर्क - चंद्र शेखर।
कविगुरु - रविन्द नाथ ठाकुर।
तूती ए हिंद - अमीर खुसरो
लिटिल मास्टर - सुनील गावस्कर।
हरियाणा हरिकेन - कपिल देव।
बाबू जी  - जगजीवन राम।
विरोधाभासों का मिश्रण - मुहम्मद बिन तुकलक।


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भारत में प्रमुख जनजातियां | Major tribes in india | States and tribes.

  

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भारत में प्रमुख जनजाति |Major tribes in india.


भारत समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और विविधता का देश है, जो इसकी जनजातियों के जीवंत चित्रपट में खूबसूरती से परिलक्षित होता है। देश भर में फैले 700 से अधिक आदिवासी समुदायों के साथ, प्रत्येक की अपनी विशिष्ट भाषा, रीति-रिवाज और जीवन शैली है, भारत अपने स्वदेशी लोगों की विशाल विविधता के लिए एक वसीयतनामा के रूप में खड़ा है। इस Gkworldhali के लेख में, हम भारत में प्रमुख जनजातियों में तल्लीन होंगे, उनकी अनूठी पहचान और देश के सांस्कृतिक परिदृश्य में योगदान के बारे में जानेंगे।

गोंड जनजाति:
गोंड जनजाति, भारत में सबसे बड़े आदिवासी समुदायों में से एक है, जो मुख्य रूप से देश के मध्य और दक्षिणी क्षेत्रों में पाई जाती है। अपनी समृद्ध पौराणिक कथाओं, संगीत और नृत्य रूपों के लिए जाने जाने वाले गोंडों का प्रकृति से गहरा संबंध है और वे विभिन्न देवी-देवताओं की पूजा करते हैं। उनकी जीवंत कला, जिसमें जटिल रूप से चित्रित दीवारें और भित्ति चित्र शामिल हैं, उनके कलात्मक कौशल और सांस्कृतिक विरासत का एक वसीयतनामा है।
संथाल जनजाति:
संथाल जनजाति मुख्य रूप से झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा राज्यों में स्थित है। वे अपनी विशिष्ट भाषा, संथाली और अपने पारंपरिक संगीत और नृत्य रूपों के लिए जाने जाते हैं। संथालों की एक समृद्ध मौखिक परंपरा है, जो कहानी कहने के माध्यम से अपने इतिहास और लोककथाओं को आगे बढ़ाते हैं। उनके पारंपरिक त्योहार, जैसे सोहराई और बहा, उनकी मजबूत सांस्कृतिक जड़ों को प्रदर्शित करते हुए बड़े उत्साह के साथ मनाए जाते हैं।
• भील जनजाति:
गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में रहने वाली भील जनजाति, भारत के सबसे बड़े आदिवासी समुदायों में से एक है। तीरंदाजी में अपने कौशल के लिए प्रसिद्ध भीलों की एक मजबूत योद्धा परंपरा है। उनका प्रकृति के साथ घनिष्ठ संबंध है और वे पारंपरिक कृषि पद्धतियों में निपुण हैं। जटिल लकड़ी की नक्काशी और जीवंत चित्रों सहित भील कला के रूप अपने जटिल डिजाइन और जीवंत रंगों के लिए प्रसिद्ध हैं।
• नागा जनजाति:
भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में रहने वाले नागा अपने अनोखे रीति-रिवाजों और परंपराओं के लिए जाने जाते हैं। उनके पास समुदाय की एक मजबूत भावना है और वे विभिन्न जनजातियों में संगठित हैं, प्रत्येक अपनी विशिष्ट बोलियों और संस्कृतियों के साथ। नागा अपने हॉर्नबिल नृत्य, जटिल हथकरघा बुनाई और अपनी विशिष्ट योद्धा विरासत के लिए प्रसिद्ध हैं।
• बोडो जनजाति:
मुख्य रूप से असम राज्य में रहने वाली बोडो जनजाति की एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है जो कृषि और हथकरघा बुनाई के इर्द-गिर्द घूमती है। उनके पारंपरिक नृत्य रूप, जैसे बागुरुंबा, उनकी जीवंत सांस्कृतिक अभिव्यक्ति का प्रदर्शन करते हैं। बोडो ने असम के साहित्य और संगीत में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जिससे राज्य की विविध सांस्कृतिक टेपेस्ट्री में इजाफा हुआ है।
• खादी जनजाति:
मेघालय के पहाड़ी क्षेत्रों में स्थित खासी जनजाति अपने मातृसत्तात्मक समाज के लिए प्रसिद्ध है, जहां वंश और वंशानुक्रम महिला रेखा से होकर गुजरता है। खासियों की एक समृद्ध संगीत परंपरा है और वे अपनी अनूठी पॉलीफोनिक गायन शैली के लिए जाने जाते हैं। वे अपनी संस्कृति को नोंगक्रेम और शाद सुक म्यन्सीम जैसे त्योहारों के माध्यम से मनाते हैं, जो उनके विशिष्ट रीति-रिवाजों और परंपराओं को उजागर करते हैं।
• उरांव जनजाति:
मुख्य रूप से झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल में पाई जाने वाली उरांव जनजाति अपनी कृषि विशेषज्ञता और समुदाय आधारित शासन प्रणाली के लिए जानी जाती है। ओरांव की एक समृद्ध मौखिक परंपरा है और वे मिट्टी के बर्तन और टोकरी बुनाई जैसे पारंपरिक शिल्प में कुशल हैं। वे सरहुल और कर्मा जैसे विभिन्न त्योहार मनाते हैं, जो उनकी सांस्कृतिक पहचान का एक अभिन्न अंग हैं।

भारत की जनजातियाँ देश के समृद्ध सांस्कृतिक ताने-बाने में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं, जो स्वदेशी संस्कृतियों की विविधता और गहराई को प्रदर्शित करती हैं। प्रत्येक जनजाति की अपनी विशिष्ट भाषा, रीति-रिवाज और कलात्मक अभिव्यक्तियाँ हैं, जो भारत की सामूहिक विरासत का एक अभिन्न अंग हैं। इन जनजातियों और उनकी सांस्कृतिक प्रथाओं का संरक्षण और उत्सव आवश्यक है

भारतीय राज्य एवं प्रमुख जनजातियां : States and their major tribes.


अरुणाचल प्रदेश  - मोपा, डबला, सुलुंग, मिश्मी, अड़ी, मिनयोग, मिरीगलांग, अपतनी, मेजी।

असम - राभा, दिमारा, कोछारी वोदो, अबोर आवो, मिकिर, नागा , लुसाई।

आंध्र प्रदेश - चेंचुस, कोढस, सवारा, गदवा गोंड।

उत्तराखंड - थारू , कोय, मारा, नीति, भोट अथवा भोटिया, खस आदि।

गुजरात - भील, बंजारा, कोली, पटेरिया, डाफर, तोड़िया आदि।

राजस्थान - मीना ,सहारिया, सांसी, गरासिया, भील, बंजारा, कोली, आदि।

हिमाचल प्रदेश - गड्डी, अथवा गुड्डी करोना, लाहौली, आदि।

जम्मू कश्मीर - बक्करवाल, गद्दी, लद्दीखी, गुज्जर ।

केरल - कादर, उराली, मोपला, इरूला, पनियान।

मध्य प्रदेश - भील, लम्बाड़ी, बंजारा , गोंड, अंबुझमारिया, मुरिया, बिहनहर्न, केरवार, असुर, बैगा, कोल, मुंडा,।

हमाराष्ट्र - बारली, बंजारा, कोली, चितपावन, गोंड, आदि।

तमिलनाडु - बडगा, टोटकोटा, कोटा, टोडा,।

मेघालय - गारो, खादी, जयंतियां, मिकिर, आदि।

मणिपुर - कुकी, मैटी, या मैठी, नागा, अंगानी आदि।

सिक्किम -  लेपचा।

नागालैंड  - नागा, नबुई नागा, अंगामी, मिकिर, आदि।

ओडिशा - जुआंग, खरिया, भुइया, संथाल, हो, कोल, ओरांव, चेंचू, गोंड, सोंड आदि।

पश्चिमी बंगाल - लोघा, भूमिज, संथाल, लेपचा आदि।

झारखंड  - संथाल, मुंडा, हो, ओराव, बिरहोर, कोरबा, असुर, भुइया, गोंड, भूमिक।

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