भाषा और व्याकरण (LANGUAGE AND GRAMMAR)
भाषा (Language):-
भाषा के माध्यम से हम अपने विचारों, भावों और भावनाओं को अभिव्यक्त करते हैं। भाषा शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के ' भाष ' से हुई है। जिसका अर्थ होता है वाणी को प्रकट करना।
भाषा के अंग (Parts Of Language)
1. वर्ण (Letters) :- वर्ण य अक्षर भाषा की सबसे छोटी इकाई होती है।
2. शब्द (Word) :- यह भाषा की अर्थ पूर्ण इकाई है। इसका निर्माण वर्णों से होता है।
3. वाक्य (Sentence) :- शब्दों के सही क्रम से वाक्य का निर्माण किया जाता है। यह किसी भाव को अभिव्यक्त करता है।
हिन्दी की वर्ण माला (Hindi Alphabet)
भाषा की सबसे छोटी इकाई वर्ण है। अ से ह तक हिन्दी के वर्ण होते है। जिनकी कुल संख्या 46 है। इनमे 11 स्वर, 33 व्यंजन, एक अनुस्वार (अं), तथा एक विसर्ग ( अ:) सममिलित हैं। इसके अतिरिक्त हिन्दी वर्ण माला मे दो द्विगुण व्यंजन ड ढ तथा चार सैयुक्त व्यंजन - क्ष, त्र, ज्ञ, श्र होते हैं।
वर्ण के प्रकार (Character types) :- हिन्दी वर्ण माला मे वर्ण दो प्रकार के होते हैं।
स्वर (Vowels) :- वे वर्ण जो बिना किसी दूसरे वर्ण के सहायता से अर्थात् स्व तंत्र रूप से बोले जाते हैं। स्वर कहलाते हैं।
व्यंजन (Consonants) :- वे वर्ण जो दूसरे वर्ण की सहायता से बोले जाते हैं। व्यंजन कहलाते हैं।
शब्द विचार
एक अथवा एक से अधिक वर्णों के सार्थक समुह को शब्द कहते हैं।
व्युत्पत्ति के आधार पर शब्द भेद :-
व्युत्पत्ति के आधार पर शब्दों के तीन भेद है।
(क) रूढि - जो शब्द किसी दूसरे शब्द के योग से नहीं बनते है और विशेष अर्थ को प्रकट करते है रूढि शब्द कहलाते है। जैसे_ घर, आँख, हाथी, मोर आदि।
(ख ) यौगिक :- जो शब्द दो या दो से अधिक शब्दों के मेल से बनते है। यौ गिक शब्द कहलाते हैं। इन्हे अलग अलग करने पर उनका स्पष्ट अर्थ प्रतीत होता है। जैसे _ हिमालय, विद्यार्थी, आदि।
(ग) योगरुढि :- जो शब्द यौ गिक होते हुए भी किसी विशेष अर्थ को स्पष्ट करते हैं। वे योगरूढि शब्द कहलाते हैं। जैसे_ दशानन ( दस हैं मुख जिसके अर्थात रावण), लम्बोदर ( लम्बा है उदर (पेट) जिसका अर्थात गणेश जी) आदि।
Read more:-
• वैदिक सभ्यता।
• विश्व इतिहास के प्रमुख युद्घ।
• भारतीय व्यक्तियों लोक प्रिय उपनाम।
संज्ञा (Noun)
परिभाषा- किसी वस्तु, व्यक्ति, स्थान, भाव अथवा प्राणी के नाम को संज्ञा कहते हैं। संज्ञा के पांच भेद हैं _
1. व्यक्तिवाचक संज्ञा :- जैसे _ श्याम, हिमालय, गंगा, सोमवार, अमेरिका आदि।
2. जातिवाचक संज्ञा :- जैसे _ लड़का, पहाड, नदी आदि।
3. भाववाचक संज्ञा :- जैसे_ बल, स्नेह, जवानी, मीठाश, हरियाली आदि।
4. समूहवाचक संज्ञा :- जैसे _ सभा, मेला, दल, गुच्छआ, सेना, गिरोह आदि।
5. द्रव्य वाचक संज्ञा :- जैसे _ घी, तेल, पानी, सोना, चांदी, दाल, चावल आदि।
लिङ्ग (Gender)
संज्ञा के जिस रूप से उसके स्त्री अथवा पुरुष जाति होने का बोध होता है, उसे लिङ्ग कहते हैं।
हिन्दी में लिङ्ग के दो भेद होते हैं। (क) पुल्लिङ्ग, (ख) स्त्रीलिंग।
(क) पुल्लिङ्ग :- जिन संज्ञा शब्दों से उसके पुरुष जाति के होने का बोध होता है। उसे पुल्लिङ्ग कहते हैं। जैसे _ राजा, कुत्ता, घोड़ा, बालक, नायक आदि।
(ख) स्त्रीलिंग :- जिन संज्ञा शब्दों से उसके स्त्री जाति होने का बोध होता है, उसे स्त्रीलिंग कहते हैं। जैसे _ रानी, लड़की, बालिका, घोड़ी, नाईका आदि।
कारक (Factor)
शब्द के जिस रूप द्वारा संज्ञा अथवा सर्व नाम का सम्बन्ध वाक्य के अन्य शब्दों से जाना जाता है कारक कहलाता है। हिन्दी भाषा में आठ कारक होते हैं।
कारक कारक चिन्ह
1. कर्ता ने
2. कर्म को
3. करण से (द्वारा)
4. सम्प्रदान के लिए, को, ( देना अर्थ में)
5. अपादान से ( अलग होना)
6. अधिकरण मे, पर, ऊपर।
7. सम्बन्ध का, के, की, रा, रे, री, ना, ने, नी।
8. संबोधन हे, रे, अरे।
काल (Tense)
क्रिया का वह रूप जिसमे किसी कार्य के होने के समय पता चलता है, उसे काल कहते हैं। काल तीन प्रकार के होते हैं।
1. वर्तमान काल (Present tense):- क्रिया के जिस रूप से यह पता चलता है कि कार्य अभी हो रहा है अथवा कार्य की निरनतरता का पता चलता है। उसे वर्त मान काल कहते हैं। जैसे _ मोहन किताब पढ़ता है।
2. भूत काल (Past tense):- क्रिया के जिस रूप से यह पता चलता है कि कार्य पूर्व ( पहले) हो चुका है। भूत काल कहलाता है। जैसे _ मोहन ने किताब पढ़ी।
3. भविष्य काल (Future tense):- क्रिया का वह रूप जिससे किसी कार्य के भविष्य में होने अथवा करने का बोध होता है, भविष्य काल कहलाता है। जैसे _ मोहन किताब पढ़ेगा।
ये भी देखें :-
• प्राचीन भारत की पुस्तकें वा लेखकों के नाम।
• भारत के वाद्य यंत्र एवं उनके वादक।
• प्रसिध्द वैज्ञानिक यन्त्र एवं उनके उपयोग।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें