जैसा कि आप सब जानते हैं कि पृथ्वी की गति दो प्रकार की है-घूर्णन और परिक्रमण । पृथ्वी को अपने अक्ष पर घूमना घूर्णन कहलाता है और सूर्य के चारो ओर एक स्थिर कक्ष में पृथ्वी की गति को परिक्रमण कहते हैं। पृथ्वी का अक्ष एक काल्पनिक रेखा है जो इसके कक्षीय सतह से 66 ¹/²° का कोण बनाती है। वह समतल जो कक्ष के द्वारा बनाया जाता है उसे कक्षिय समतल कहते हैं।
जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है तो सूर्य की पूरी रोशनी चन्द्रमा पर नहीं पड़ती है तो उसे चंद्रग्रहण कहते है। जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सरल रेखा में होते हैं तो चंद्रग्रहण की स्थिति होती है।
चंद्रग्रहण हमेशा पूर्णिमा की रात में ही होता है। एक साल में अधिकतम तीन बार पृथ्वी की उपछाया से चन्द्रमा गुजरती है तभी चंद्रग्रहण लगता है।
सूर्यग्रहण:
जब सूर्य और पृथ्वी के बीच में चन्द्रमा आ जाता है तो सूर्य की चमकती सतह चंद्रमा के कारण दिखाई नहीं पड़ती है चन्द्रमा की वजह से जब सूर्य ढकने लगता है तो इस इस्थिति को सूर्य ग्रहण कहते हैं।जब सूर्य का एक भाग छिप जाता है तो उसे आंशिक सूर्य ग्रहण कहते हैं।जब सूर्य कुछ देर के लिए पूरी तरह से चन्द्रमा के पीछे छुप जाता है तो उसे पूर्ण सूर्य ग्रहण कहते हैं। पूर्ण सूर्य ग्रहण हमेशा अमावस्या को ही होता है।
पृथ्वी परिक्रमण, चंद्र तथा सूर्य ग्रहण से संबंधित प्रश्न और उत्तर
1. चन्द्रमा की उत्पति "4 अरब वर्ष पूर्व"।
2. पृथ्वी की उत्पत्ति " 4.60 अरब वर्ष पूर्व"।
3. सूर्य की उत्पत्ति " 5-6 अरब वर्ष पूर्व"।
4. ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति "13.7 अरब वर्ष पूर्व"।
5. सूर्य ग्रहण में पूर्ण सूर्य ग्रहण की अधिकतम अवधि "7 मिनट 40 सेकंड"
6. जब चन्द्रमा पृथ्वी से अपेक्षाकृत दूर होता है तब सूर्यग्रहण "वलयाकार"।
7. हीरक वलय देखा जा सकता है "केवल पूर्णता सूर्य ग्रहण परिधीय क्षेत्रों में"।
8. पूर्ण सूर्य ग्रहण में पृथ्वी के अनुप्रस्थ परिच्छेद की तुलना मे "पृथ्वी पर पड़ने वाली चन्द्रमा की छाया का आकार छोटा होता है"।
9. ग्लोब पर कुल अक्षांश रेखाएं" 181"।
10. सूर्य ब उत्तरी ध्रुव के मध्य अधिकतम कोण निर्मित होता है"21 जून"।
11. सूर्य विषुवत रेखा से अधिकतम कोणीय दूरी पर होता है " अयनांत पर "।
12. दक्षिणी ध्रुव लगातार सूर्य का प्रकाश प्राप्त करता है" शरद अयनान्त "।
13. सूर्य से पृथ्वी के बीच की औसत दूरी "150×10⁶ km"।
14. भूमध्य रेखा पर दोपहर के सूर्य की ऊंचाई का न्यूनतम कोण " 66¹/²° "।
15. पृथ्वी की आयु के अनुसार " प्रोटोजाइक, पेलियोजाइक, मिसोजोइक, सिवोजोइक"।
16. पृथ्वी पर सबसे अधिक क्षेत्र पर फैला पारस्थितिकी तन्त्र " सामुद्रिक"।
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