वैदिक सभ्यता - vedic civilization in hindi.
Gk world hali में आपका स्वागत है आज हम पढ़ेंगे भारत की सभ्यताओं में से एक सभ्यता वैदिक सभ्यता के बारे में।वैदिक सभ्यता : (1500 ई. पू. से 600 ई. पू. तक)।
भारत में सिंधु घाटी सभ्यता के बाद एक नई सभ्यता वैदिक सभ्यता के प्रमाण मिलते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस सभ्यता को बसाने वाले आर्य थे जो मध्य एशिया से भारत की ओर आए थे और सिंधु नदी के किनारे बस गए। वैदिक सभ्यता को दो भागों में बांटा जाता है : (i) ऋग्वैदिक काल (1500 ईसा. पू. से 1000 ई. पू.), (ii) उत्तर वैदिक काल (1000 ई. पू. से 600 ई. पू. तक)।
(i) ऋग्वैदिक काल : (1500 ईसा. पू. से 1000 ईसा. पू. तक)
ऋग्वैदिक काल के महत्वपूर्ण तथ्य
• सामाजिक जीवन : ऋग्वैदिक समाज का आधार परिवार था।परिवार पितृ सत्तात्मक होता था। आर्यों का प्रारंभिक सामाजिक वर्गीकरण वर्ण एवं कर्म के आधार पर किया जाता था। इस कल में आभूषण सोने, चांदी, तांबे, हाथी दांत, व महंगे पत्थरों से बनाए जाते थे। मनोरंजन के साधनों में संगीत गायन, संगीत वादन, नृत्य, चौपड़, शिकार, अश्वधावन आदि शामिल थे।
• धार्मिक जीवन : इस ऋग्वैदिक काल में अग्नि, इंद्र, वरुण, सूर्य, ऋतु, यम, रुद्र, अश्विनी आदि प्रमुख देवता थे और ऊषा, अदिति, रात्रि, संध्या, प्रमुख देवियां थी जिनकी इस काल के लोग पूजा करते थे।
• राजनीतिक जीवन : राजनीतिक संगठन की मूल भूत इकाई कुटुम्ब कहलाता था, जिसका प्रमुख कुटुम्ब का प्रधान पुरुष होता था। अनेक कुटुंबों का समूह ग्राम कहलाता था। कई ग्रामों का समूह विश कहलाता था जिसके प्रधान को विश पति कहते थे। अनेक विशों के समूह को जन कहा जाता था, जिसके प्रधान को गोप अथवा राजन कहते थे।
(ii) उत्तर वैदिक काल : (1000 ई. पू. से 600 ईसा. पू. तक)
उत्तर वैदिक काल के महत्वपूर्ण तथ्य
• सामाजिक जीवन: उत्तर वैदिक काल में परिवार का पितृ पुरुष प्रधान होता था। समाज में स्त्रियों की दशा का पतन हो गया था। जाति प्रथा कार्य के आधार पर न हो कर जन्म के आधार पर होने लगी थी।
• धार्मिक जीवन : इस कल में इंद्र की जगह पर सज्जन देवता के रूप में प्रजापति का महत्व बड़ गया था। लोगो की यक्ष के प्रति रुचि बढ़ी। धार्मिक जीवन में जादू टोना का प्रचलन होने लगा था।
• राजनीतिक जीवन : इस कल में ऋग्वैदिक कालीन छोटे छोटे काबिले एक दूसरे में विलीन होकर क्षेत्रगत जनपदों में बदलने लगे थे।
• आर्थिक जीवन : इस कल के लोग मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर थे और कृषि लोगों का मुख्य पेशा बन गई थी। कृषि तथा पशुपालन के अलावा मछुआ, सारथी, गडरिया, सुनार, मणिकर, रस्सी बटने वाले, धोबी, लुहार, जुलाहा आदि व्यवसायियों का उल्लेख इस सभ्यता में मिलता है।
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