भारत के राष्ट्रीय आंदोलन | National Movement of India.

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भारत के राष्ट्रीय आंदोलन |National movements of India.

भारत का राष्ट्रीय आंदोलन भारतीय उपमहाद्वीप में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाप स्वतन्त्रता के लिए ऐतिहासिक संघर्ष को संदर्भित करता है। यह 19वीं सदी के अंत में उभरा और महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू, और सुभाष चन्द्र बोस जैसी महान हस्तियों के नेतृत्व में गति पकड़ी। इस आंदोलन का उद्देश्य भारतीय लोगों के लिए राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक अधिकारों को सुरक्षित करना, स्वशासन की वकालत करना और ब्रिटिश साम्राज्य को समाप्त करना था। अहिंसक सविनय अविज्ञा आंदोलन , बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन और बहिस्कार के माध्यम से , राष्ट्रीय आंदोलन के विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक पृष्टभूमि के लोगों की स्वतंत्रता की तलाश में एकजुट किया। भारतीय इतिहास का यह महत्त्वपूर्ण अध्याय अन्ततः 15 अगस्त 1947 ईसवी को देश की स्वतंत्रता का कारण बना। तो चलिए Gkworldhali के लेख में हम पढ़ेंगे भारत का राष्ट्रीय आंदोलन में कौन कौन सी आंदोलन की स्थापना हुई।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना (1885 ई.) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना सन 1885 ई. में ए ओ ह्यूम द्वारा की गई थी। इसका प्रथम अधिवेशन दिसंबर, 1885 ई. में बंबई में हुआ। जिसकी अध्यक्षता व्योमेश चंद्र बनर्जी ने की। इसमें 72 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था।

बंगाल का विभाजन (1905 ई.) राष्ट्रीय आंदोलन के फलस्वरूप देश भक्ति के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए लॉर्ड कर्ज़न द्वारा 16 अगस्त, सन 1905 ई. में बंगाल का विभाजन कर दिया गया।

मुस्लिम लीग की स्थापना (1906 ई.) इसके संस्थापकों में आगा खां, नवाब सलीमुल्ला और नवाब मोहसिन उल मुल्क प्रमुख थे। मुस्लिम लीग की स्थापना का मुख्य उद्देश्य ब्रिटिश सरकार के प्रति मुसलमानों की निष्ठा बढ़ाना, मुसलमानों के राजनैतिक अधिकारों की रक्षा करना था।

कांग्रेस का सूरत अधिवेशन (1907 ई.) इस अधिवासन में कांग्रेस स्पष्ट रूप से नरमपंथी नेताओं और गरमपंथी नेताओं में विभाजित हो गई थी।

लखनऊ समझौता (1916 ई.) ब्रिटेन और तुर्की के बीच युद्ध के कारण मुसलमानों में अंग्रेजों के प्रति विद्वेष की भावना उत्पन्न हो गई थी। 1916 ई. में लखनऊ में मुस्लिम लीग के नेता मोहम्मद अली जिन्ना और कांग्रेस के मध्य एक समझौता हुआ जिसके अन्तर्गत कांग्रेस वा लीग ने मिलकर एक सैयुक्त समिति की स्थापना की। समझौते के तहत कांग्रेस ने मुस्लिम लीग की सांप्रदायिक प्रतिनिधित्व की मांग स्वीकार कर ली।

होम रूल लीग आंदोलन (1916 ई.) श्रीमती ऐनी बेसेंट के प्रयासों से संवैधानिक उपायों द्वारा स्वशासन प्राप्त करने के उद्देश्य से भारत में होमरूल लीग की स्थापना की गई।बाल गंगाधर तिलक ने 28 अप्रैल 1916 में होमरूल लीग की स्थापना महाराष्ट्र में की।

रौलेट एक्ट (1919 ई.) इस एक्ट के द्वारा अंग्रेज सरकार जिसको चाहे जब तक बिना मुकदमा दायर किए जेल में बंद कर सकती थी। इस एक्ट को 'बिना अपील ' ' बिना वकील ' और ' बिना दलील ' का कानून भी कहा गया। काला अधिनियम और आतंकवादी अपराध अधिनियम के नाम से भी जाना जाता है।

जलिया वाला बाग हत्याकांड (1919 ई.) रौलेट एक्ट के विरोध में जगह जगह जन सभाएं आयोजित की जा रही थी इसी दौरान सरकार ने पंजाब के लोकप्रिय नेता डा. सैफुद्दीन किचलू और डा. सत्यपाल को गिरफतार कर लिया गया। इसी गिरफ्तारी का विरोध करने के लिए 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियां वाला बाग में एक जनसभा का आयोजन किया गया जिस पर जनरल डायर ने गोली चलवा दी, जिसमे सैकड़ों लोग मारे गए।
 
खिलाफत आन्दोलन (1920 ई.) प्रथम विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटेन और उसके सहयोगियों द्वारा तुर्की पर किए गए अत्याचारों के परिणामस्वरूप 1919 ई.में अखिल भारतीय खिलाफत कमेटी का गठन किया गया।इस आंदोलन में मोहम्मद अली और शौकत अली ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

असहयोग आंदोलन (1920 ई.) लाला लाजपत राय की अध्यक्षता में हुई कलकत्ता अधिवेशन में गांधी जी के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन का प्रस्ताव पारित किया गया। इस आंदोलन के दौरान विद्यार्थियों द्वारा शिक्षण संस्थानों का बहिष्कार, वकीलों द्वारा न्यायालयों का बहिष्कार किया गया। फरवरी 1922 ई. में गांधी जी ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन शुरू कर ने की योजना बनाई। लेकिन इस से पहले ही उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के चौरा चौरी नामक स्थान पर 5 फरवरी 1922 ई. को आंदोलनकारियों ने पुलिस के 22 जवानों को थाने के अंदर जिंदा जला दिया। इस घटना से गांधी जी को बहुत दुख हुआ और उन्होंने 12फरवरी 1922 ई. को असहयोग आंदोलन वापस लेने की घोषणा कर दी।

साइमन कमीशन (1927 ई.) ब्रिटिश सरकार ने सर जान साइमन के नेतृत्व में 7 सदस्यों वाले आयोग की स्थापना की, जिसमे कोई सदस्य भारतीय नहीं था । जिसके कारण भारत में इस कमीशन का बहुत जोरों शोरों के साथ विरोध किया गया था।
कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन (1929 ई.) ।
दांडी यात्रा (1930 ई.)।
क्रांतिकारी आंदोलन (1924 ई.)।
प्रथम गोलमेल सम्मेलन (1930 से 1931 ई.)।
गांधी इर्विन समझौता(1931 ई.)।
द्वितीय गोलमेल सम्मेलन (7सितंबर 1931 ई.)।
सांप्रदायिक पंचाट : पूना समझौता (1932 ई.)।
तृतीय गोलमेल सम्मेलन (1932 ई.)।
पाकिस्तान की मांग (1940 ई.)।
क्रिप्स मिशन (1942 ई.)।
भारत छोड़ो आन्दोलन (1942 ई.)।
कैबिनेट मिशन (1946 ई.)।
माउंट बेटन योजना और भारत को स्वतंत्रता प्राप्ति (1947 ई.)।

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