भारत में यूरोपियों का आगमन| Arrival of Europeans in India.

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भारत में यूरोपियों का आगमन | Arrival of Europeans in India.


भारत में यूरोपीय लोगों का आगमन इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। 15वीं सदी के अंत में पुर्तगालियों से शुरुआत, उसके बाद डच, फ्रांसीसी और अंततः ब्रिटिश, यूरोपीय शक्तियों के इस आगमन ने भारतीय उपमहाद्वीप को हमेशा के लिए बदल दिया। प्रारंभ में, ये आगमन मसालों और व्यापार के आकर्षण से प्रेरित थे, लेकिन जल्द ही क्षेत्रीय प्रभुत्व की तलाश में विकसित हो गए। विशेष रूप से, अंग्रेजों ने अपनी ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना की, जिसने रणनीतिक गठबंधनों और सैन्य विजय के माध्यम से धीरे-धीरे अपना प्रभाव बढ़ाया। उनकी उपस्थिति ने महत्वपूर्ण आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन लाए, अंततः ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन में परिणति हुई, जिसने भारत के इतिहास पर एक अमिट प्रभाव छोड़ा और स्वतंत्रता की दिशा में अपना मार्ग प्रशस्त किया।

यूरोपियों का आगमन|Arrival of Europeans.


पुर्तगाल : 1498 ई.में पुर्तगाली नाविक वास्कोडिगामा केरल के कालीकट में समुद्री मार्ग से पहुंचा। 1509 ई. में पुर्तगाली गवर्नल अल्फ्रांसो डी अल्बुकर्क भारत आया। 1510 ई. में उसने गोवा पर अधिकार कर लिया। अल्बुकर्क को भारत में पुर्तगाली साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक माना जाता है। पुर्तगालियों के भारत आगमन से भारत में तंबाकू की खेती, जहाज निर्माण तथा प्रिंटिंग प्रेस की शुरुवात हुई।

डच : 1602 ई. में यूनाइटेड ईस्ट इंडिया कंपनी ऑफ द निडरलैंड्स का प्रदुर्भाव हुआ। 1605 ई. में डचों द्वारा पहली फैक्ट्री मसूलीपट्टनम में स्थापित की गई। डचों और अंग्रेजों के बीच 1759 ई. में हुए वेदरा के युद्ध में अंग्रेजी सर्वश्रेष्ठ नौसेना ने डचों को भारतीय व्यापार से बाहर निकाल दिया गया था।

अंग्रेज : 1600 ई . में ईस्ट इंडिया कम्पनी की स्थापना ब्रिटिश सरकार द्वारा कुछ व्यापारियों को चार्टर प्रदान करने के साथ हुई। जेम्स प्रथम के राजदूत टामस रो ने जहांगीर से सूरत फैक्ट्री खोलने तथा व्यापार करने की आज्ञा प्रदान कर ली थी। 1757 ई. में प्लासी के युद्ध में क्लाइव ने बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला को हराकर भारत में अंग्रेजी राज्य की नींव रखी। 1764 ई. में बक्सर के युद्ध में अंग्रेजों ने शाह आलम ( मुगल सम्राट) , शुजाउद्दौला ( अवध का नवाब) और मीर कासिम (बंगाल का नवाब) की संयुक्त सेनाओं को हरा कर अंग्रेजी राज्य दिल्ली तक फैला लिया। 1818 ई. में अंग्रेजों ने मराठा शक्ति को समाप्त कर दिया तथा 1849 ई. में चिलियानवाल के युद्ध में सिक्खों को हराकर पंजाब सहित पूरे भारत को अपने राज्य में मिला लिया।

डेन : डेनमार्क की ईस्ट इंडिया कम्पनी की स्थापना सन् 1616 ई. में हुई। इस कम्पनी ने 1620 ई. में त्रेकोबार ( तमिलनाडु) और 1676 ई. में सेरामपुर (बंगाल) में अपनी व्यापारिक कोठियां स्थापित की थी। 1845 ई. में डेनो ने अपनी वाणिज्यिक कम्पनी को अंग्रेजों को बेंच दीं थी।

फ्रांसीसी : फ्रांसीसी सम्राट लुई चौदवे के मंत्री कैलबर्ट द्वारा 1664 ई. में फ्रेंच ईस्ट इंडिया कम्पनी की स्थापना की गई थी। 1668 ई. में फ्रेंसिस कैरो के नेतृत्व में इस कम्पनी ने सूरत में अपनी प्रथम कोठी स्थापित की। 1742 ई के पश्चात् फ्रांसीसी व्यापारिक लाभ प्राप्त करने की अपेक्षा राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं में सलग्न हो गए क्योंकि इस वर्ष डूप्ले फ्रांसीसी कम्पनी का गवर्नर बनकर भारत आया और उसके नेतृत्व में फ्रांसीसियों ने अपनी शक्ति का खूब विस्तार किया। अत फ्रांसीसियों की साम्राज्यवादी नीति के कारण अंग्रेज व फ्रांसीसियों में संघर्ष प्रारंभ हुआ ! 1760 ई. में वांडीवाश का युद्ध में फ्रांसीसी अंग्रेज सेना से पराजित हो गये।

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